Tuesday, April 5, 2011

yun hi...

गुमराह हूँ इन रातों में 
अँधेरे से खौफज़दा भी हूँ
संभालना मेरी इस रूह को
तेरे आने से गर ये बागी जो हो

कसूरवार वैसे ये भी नहीं
खतावार खुद को भी न समझ
ये तो शिरीन हैं तेरे लब
बदनसीब ही उनका कायल न हो.......     

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