देखा मैंने आज आसमाँ को बड़े गौर से
इक तरफ वो बादलों से था घिरा
और दूसरी तरफ वो काले साये से था जुदा
कैफियत हुई ये देख कर मुझे अजीब सी
इक ही पल में कोई कैसे हो सकता है दोहरा
अभी जिसकी तपिश ने संवारा था मुझको
जिससे दगा की उम्मीद भी बेवफाई थी
झंकझोर दिया पल भर में ही मेरे ख्वाब को
झमझम करती बारिश की बूंदों की आवाज़ ने
अभी फिर से दिखी दूर कहीं मुझे नयी रौशनी
लकिन वो भी पल दो पल को ही साथ रही
पलछिन साथ रहने का वादा देकर
मेरे नसीब में ये रातें ही आबाद रहीं...................
raabta-e-ishq ki chiraag-e-jaan se ho jaae...
ReplyDeletehuqumat ka khayaal nahi,shaffaaf muhabbat jo mil jaae....
.....kya kahun.......fantastic..........
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