ik roz
Sunday, October 16, 2011
बहुत दिनों बाद आज मैं कुछ लिखने बैठी...
मालूम हुआ कि मेरी सोच को दीमक लग चुका है...
कुछ नया ख्याल ज़हन में नहीं आता अब...
कोरा कागज़ भी निकाल जीभ मेरी बेबसी पे चिढ़ा रहा है.... ...!!!!!
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